जब दिल में हो महब्बत , रूह लबरेज़ जज़्बाए-इंसानियत से .तो आपका कारवां चलता ही रहेगा , बढ़ता ही रहेगा.हम बात कर रहे हैं,58 वर्षीय डॉ.मोहम्मद हनीफ खान शास्त्री की जो संस्कृत के माने हुए विद्वान हैं, उनकी सर्वाधिक प्रसिध्द पुस्तकें हैं: मोहनगीता, गीता और कुरान में सामंजस्य, वेद और कुरान से महामंत्र गायत्री और सुरा फातिहा, वेदों में मानवाधिकार और मेलजोल। 1991 में महामंत्र गायत्री और सुरा फातिहा का अर्थ प्रयोग एवं महात्म्य की दृष्टि से तुलनात्मक अध्ययन के लिए पीएचडी की उपाधि आपको प्रदान की गई थी।
डॉ. शास्त्री को मानवाधिकार और समाज कल्याण केन्द्र, राजस्थान के साथ वर्ष 2009 के राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सौहार्द्र पुरस्कार के लिए चुना गया है। उपराष्ट्रपति की अध्यक्षता में जूरी ने साम्प्रदायिक सौहार्द्र बढ़ाने में उनके योगदान को देखते हुए उनका का चयन किया है।
राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सौहार्द्र पुरस्कारों की स्थापना राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सौहार्द्र संस्थान जो भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा साम्प्रदायिक सौहार्द्र बढाने और राष्ट्रीयता के लिए स्थापित एक स्वायत्तशासी संगठन है, के द्वारा 1966 में की गई थी।
शास्स्री जी को हार्दिक मुबारक बाद!!
डॉ. शास्त्री को मानवाधिकार और समाज कल्याण केन्द्र, राजस्थान के साथ वर्ष 2009 के राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सौहार्द्र पुरस्कार के लिए चुना गया है। उपराष्ट्रपति की अध्यक्षता में जूरी ने साम्प्रदायिक सौहार्द्र बढ़ाने में उनके योगदान को देखते हुए उनका का चयन किया है।
राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सौहार्द्र पुरस्कारों की स्थापना राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सौहार्द्र संस्थान जो भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा साम्प्रदायिक सौहार्द्र बढाने और राष्ट्रीयता के लिए स्थापित एक स्वायत्तशासी संगठन है, के द्वारा 1966 में की गई थी।
शास्स्री जी को हार्दिक मुबारक बाद!!