तेरी शर्ट हमसे ज्यादा सफ़ेद क्यों की तर्ज़ पर मीनारों और गुम्बदों को ऊँचा करने और सड़कों पर नमाज़ व आरती करने की आज होड़ लगी है.धार्मिक होने का प्रदर्शन खूब हो रहा है जबकि ऐसी धार्मिकता हमें धर्मान्धता की ओर घसीट ले जा रही है.जो खतरनाक है.देश की गंगा-जमनी संस्कृति को इससे काफी चोट पहुँच रही है.सर्व-धर्म समभाव हमारी पहचान है.सदियों पुरानी इस रिवायत को हम यूँही खो जाने नहीं देंगे. इस मंच के मार्फ़त हमारा मकसद परस्पर एकता के समान बिदुओं पर विचार करना है.अपेक्षित सहयोग मिलेगा, विशवास है. मतभेदों का भी यहाँ स्वागत है.वाद-ववाद से ही तो संवाद बनता है.





पंडित-पुरोहित के बिना उर्स मुकम्मल नहीं होता

on मंगलवार, 16 सितंबर 2008

हिन्दू भी रखते हैं रोज़ाआज मुल्क के दुश्मन तरह-तरह की आतंक कारी गतिविधियों द्बारा हमें बांटने में लगे हैं.वहीँ हम ब्लोगेर-मित्र भी इक-दूसरे को हिंदू-मुस्लिम के चश्मे से देखने की कोशिश कर रहे हैं.अगर दरहकीक़त ऐसा कर रहे हैं तो अप्रत्यक्ष सही हम उन...
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