कहा जाता है कि हज़रत मोहम्मद [स] को आज के ही दिन लगभग साढ़े चौदा सौ साल पहले अल्लाह ने पूरे संसार के लिए रहमत बनाकर भेजा था.इस दिन को लोग ईद-मिलादुन-नबी कहते हैं. इस रहमत का ही नतीजा है कि हिन्दुस्तान का एक सूफी-संत बुल्ले-शाह पंजाब में जाकर होली खेलता है और नाम अल्लाह और उसके रसूल का लेता है.यही हमारी सदियों पुरानी साझी-संस्कृति है.फेस बुक की दीवार पर पत्रकार अस्मा सलीम ने इसे उर्दू में चस्पां किया है.उनके आभार के साथ हम यहाँ मूल के साथ देवनागरी में लिप्यान्तरण दे रहे हैं.
होरी खेलूंगी कह कर बिस्मिल्लाह
नाम नबी की रतन चढी, बूँद पडी इल्लल्लाह
रंग-रंगीली उही खिलावे, जो सखी होवे फ़ना-फी-अल्लाह
होरी खेलूंगी कह कर बिस्मिल्लाह
अलस्तु बिरब्बिकुम पीतम बोले, सभ सखियाँ ने घूंघट खोले
क़ालू बला ही यूँ कर बोले, ला-इलाहा-इल्लल्लाह
होरी खेलूंगी कह कर बिस्मिल्लाह
नह्नो-अकरब की बंसी बजायी, मन अरफ़ा नफ्सहू की कूक सुनायी
फसुम-वजहिल्लाह की धूम मचाई, विच दरबार रसूल-अल्लाह
होरी खेलूंगी कह कर बिस्मिल्लाह
हाथ जोड़ कर पाऊँ पडूँगी आजिज़ होंकर बिनी करुँगी
झगडा कर भर झोली लूंगी, नूर मोहम्मद सल्लल्लाह
होरी खेलूंगी कह कर बिस्मिल्लाह
फ़ज अज्कुरनी होरी बताऊँ , वाश्करुली पीया को रिझाऊं
ऐसे पिया के मैं बल जाऊं, कैसा पिया सुब्हान-अल्लाह
होरी खेलूंगी कह कर बिस्मिल्लाह
सिबगतुल्लाह की भर पिचकारी, अल्लाहुस-समद पिया मुंह पर मारी
नूर नबी [स] डा हक से जारी, नूर मोहम्मद सल्लल्लाह
बुला शाह दी धूम मची है, ला-इलाहा-इल्लल्लाह
होरी खेलूंगी कह कर बिस्मिल्लाह
28 टिप्पणियाँ:
हाथ जोड़कर पाऊँ पडूँगी आजिज़ होकर बिनी करुँगी
झगडा कर भर झोली लूंगी , नूर मोहम्मद सल्लाह !!
क्या कहना है..
ईश्वर करे आप जैसे लेखक और पैदा हों , इस देश को जरूरत है ऐसे नेक इंसानों की ! होली पर शुभकामनायें !!
बुल्लेशाह यूँ ही महान नहीं हो गए!
वाह वाह....बहुत अच्छालगा पढकर...
....मुबारकां ....मुबारकां ...!!!!
bhut badhiya hai dhanywaad isi tarah miljulkar rhe klyan ho sabkaa desh aage badhe
@ सतीश जी से सहमत....आपके सभी लेख अहम होते हैं..
बहुत बहुत शुक्रिया,इतनी नायाब रचना से रु-ब-रु करवाने का....आप जैसे नेक बन्दों की कोशिशों से ही यह दुनिया जीने लायक है..
आपको भी होली बहुत बहुत मुबारक
बेशक मंदिर-मस्जिद ढा दे
बुल्ले शाह ये कहता,
पर प्यार भरा दिल कभी न तोड़ो,
उस दिल में ईश्वर रहता...
जय हिंद...
sab log aisey hi ho jaayen. atankvad na phailayein.
sharoz bhai holi mubaraq ho.aapko yaad karte hain,kabhi baat karne kaa man bhi hota hai.co no mail kar de to achcha lagrga. anil.pusadkar@gmail.com
बहुत अच्छी जानकारी...सच है दिलों में प्यार की भावना ही होनी चाहिए...सब त्योहारों को मिल कर मनाने का जज्बा.....
आपको होली की शुभकामनायें
भेद भाव को भूलकर , सब मीठी बोलें बोली
जेम्स, जावेद, श्याम और संता , सब मिलकर खेलें होली।
ईद और होली की मुबारक।
ek mahaan aur durlabh rachanaa ko aaj ke daur me sulabh karane ke liye aabhar. aise path bade zarooree hai. badhai eid kee..
अपनी मीटिंग में तो हम साक्षात मिल लिए थे प्यार भरे दिलों से। उन खुशबुओं से सदा सराबोर रहेंगे हम।
बहुत सुन्दर पोस्ट!
होली और ईद की हार्दिक शुभकामनाएं!
अति सुन्दर । शहरोज भाई होली और ईद की मुबारकबाद लें । सप्रेम,
वाह पढ़कर ही मजा आ गया।
होली की शुभकामनाएँ
ईद और होली के अवसर पर इस रचना का रंग देश को एकता के रंग से सराबोर कर गया धन्यवाद.
होली की हार्दिक शुभकामनाये.
ye rachna anupam hai......padhkar ek sukun sa hua
aapka jazba kabile tareef hai...yun hi banaye rakhiyega..shubhkamnayen.
हमारा देश सूफियों और भक्ति रस के उदार महात्माओं से भरा रहा है. काश सभी लोग सांप्रदायिक सद्भाव और इसके आनंद को समझें, महसूस करें..
इस रचना को प्रस्तुत करने के लिए आपका बहुत शुक्रिया...
maashallah.......
shahroz sahab,
awesh ji ke scrap par bhraman karte hue aap mere blog par aaye they, aaj main tafreeh par nikli to aapke blog par pahunch gai.
hori khelungi kah kar bismillah padhi, aapki soch aur jazbaa ko salaam. bahut shubhkaamnayen.
If you can give us the exact translation of this song, would be very grateful.
MV
आइये हम सब मिल कर सांप्रदायिक सद्भाव के लिए काम करें
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